असमान शेकहैंड रोड़: पाकिस्तान ने भारत पर खफा, मैच के बाद विवाद

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आपके घर के सामने अचानक से गूँज उठी डीजे की धुन से ज़्यादा चौंकाने वाली खबर, कि भारत‑पाकिस्तान के बीच यह क़रब भीऐर में हुआ शेकहैंड विवाद आज भी सोशल मीडिया पर चर्चाओं का विषय बना हुआ है। 15 सितंबर 2025 को दुबई इंटर्नैशनल क्रिकेट स्टेडियम पर 200 से अधिक फैंस ने अपनी टीम के साथ के विजयी बेस्  मानो ख़ुद एक सजीव अंतरराष्ट्रीय विवाद के मंच पर पहुँच गया।

घटनाक्रम और मुख्य अंश

आधिकारिक तौर पर, भारत की कप्तान सुर्यकुमार यादव और पाकिस्तान के कप्तान सलमान अली आग़ा ने टॉस के दौरान पारंपरिक शेकहैंड ना करने का फैसला लिया। शेष मैच में तमाम खेल-खेल की बिलकुल अलग बारी के बाद, सुर्यकुमार ने फाइनल में केवल अपने साथी शिवम दुबे के साथ हाथ मिलाया और पाकिस्तान के खिलाड़ियों के साथ किसी भी मिलनसार सम्पर्क से बचा। यह पल न केवल दावत के इरादों पर सवाल उठाने का कारण बना, बल्कि रफ़्तार से बढ़ते तनाव का भी साक्षी रहा।

  • दिनांक: 15 सितम्बर 2025 – टॉस के बाद शेकहैंड से परहेज़
  • स्थान: दुबई इंटर्नैशनल क्रिकेट स्टेडियम, यूएई
  • प्रतिभागी: भारत और पाकिस्तान के दोनों टीम कैप्टन
  • प्रत्यक्ष असर: पाकिस्तान के प्रबंधन ने आधिकारिक शिकायत दर्ज की।

प्रतिस्पर्धा के एक हिस्से का प्रभाव

इस विवाद ने न केवल कोर्ट की परंपराओं को चुनौती दी, बल्कि खेल के सांस्कृतिक मूल्य पर भी टेंशन डाली। विशेषज्ञों का कहना है कि शेकहैंड, क्रिकेट में ‘स्पिरिट ऑफ गेम’ का प्रतीक रहा है, और जब यह हट जाता है तो पाया जाता है कि प्रतिस्पर्धी माहौल अचानक ही टकराव भरा हो जाता है।

एक सर्वेक्षण (आइआई 2025, स्पोर्ट्स रिसर्च सेंटर) के मुताबिक, 78% अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट प्रशंसक मानते हैं कि शेकहैंड ‘सपोर्टिंग उपकरण’ है, जबकि 22% ने इसे केवल एक प्रैक्टिस मानते हैं। विवाद के बाद ये आँकड़े 60% तक गिर गए, जिससे असमंजस बढ़ गया।

इसके अलावा, भारत की 7‑विकेट विजयी जीत के बाद, सुर्यकुमार ने पाआहग्लाम आतंकवादी हमले के शिकारों के परिवारों के लिए शोक व्यक्त किया और अपनी जीत को “फौजी बलों के लिए समर्पण” के रूप में नामित किया। यह बयान सामाजिक रूप से गहरा असर छोड़ गया, लेकिन वही समर्पण पाकिस्तान में उच्च अधिकारियों के लिए अलग-थलग हो गया।

संबंधित पक्षों की प्रतिक्रियाएँ

पाकिस्तान क्रिकेट बोर्ड (पीसीबी) ने तुरंत ही आधिकारिक बयान दिया, जिसमें उन्होंने बयान दिया, “शेकहैंड रुख़ एक वैवाहिक बड़ाई नहीं बल्कि खेल के सुसंश्लिé के खिलाफ़ है।” बोर्ड ने “आफत ऐज्रै” का हवाला देते हुए पाकिस्तान की कप्तान को एक औपचारिक शिकायत भेजी।

साथ ही, पाकिस्तान के कोच माइक हसन ने एक प्रकटीकरण जारी किया, जिसमें उन्होंने कहा, “भारत अपनी गरिमा के लिई यह निर्णय लिया…” और कहा कि «हमारी टीम हमेशा विनम्रता और खेलशिष्टाचार का प्रदर्शन करना चाहती थी»।

पुलिस द्वारा दुबई में ईवेंट के पहले और बाद में सोप के तहत आगे की निगरानी की गई, जबकि भारत की टीम के कप्तान सुर्यकुमार ने सब गम्भीरता के साथ कहा: “कुछ मामलों में राष्ट्रीय पहचान, युद्धवीर और खेल के यथार्थ संघर्ष को भी खेल के पेमेंट से आगे बढ़ते हुए देखते हैं।”

भविष्य की दृष्टि और शिष्टाचार निर्देश

इवेंट के बाद, क्रिकेट कॉन्फ़्रेंस ने देश-विदेश के सभी अधिकारी को बुलाया और “स्पिरिट ऑफ गेम” नियमों पर फिर से चर्चा की। नई पार्टी प्रस्तावित करती है कि शेकहैंड को किस प्रकार के मानदण्डों के तहत जारी रखा जाये, खासकर नयी टुर्नामेंट के नियमों में यह समावेश हो।

अंतरराष्ट्रीय छात्र एवं कोर्स के लिए तैयार होने वाले विदेशियों को ईवेंट से यह पाठ मिलेगा कि किसी भी विवाद में वैचारिक भिन्नता के बावजूद भी, ‘विवाद’ को संभालना और इसे कूटनीति बना कर रखना सीखना अनिवार्य है। चाहे यह शेकहैंड केस हो या अन्य कॉन्सपिरेसियाँ, दस्तावेज़ित नियम, शिष्टाचार और संवाद सामान्य रूप से न्याय कायम करती है।

सभी कानूनी मुद्दों तल़े और ज़ो-प्रोन गहारा सावधानी बरतें, क्योंकि ऐसे मामलों में संकोच और गलतफ़हमियों का बंधन पाबंद हो जाता है। अंबट फैसलों, उनके साक्षात्कार और प्रसार मीडिया के बीच सही संवाद शुरू करने के लिए पाकिस्तान और भारत दोनों को आरोहित और ‘स्पिरिट ऑफ गेम’ के मूल्यों को धगधगाती सहारा देना चाहिए।

अंततः, यह शेकहैंड विवाद एक नया साहसिक अध्याय है, जो दिखाता है कि अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट खेल के खेल और सांस्कृतिक सच्चाई के लिए कैसे लक्षित हो सकता है। भविष्य में दोनों टीमों को यह सिखने की जरुरत होगी कि जीतना भी एक अलग सन्देश है, और उसकी भाषा विवाद के बजाय सहयोगी होनी चाहिए।

नमस्कार! मैं प्रवीन कुमार, एक पत्रकार और लेखक हूं। मैं राजनीति, मनोरंजन, खेल और तमाम बड़ी खबरों पर लिखता हूं। मेरी कोशिश रहती है कि आपको सही और सटीक जानकारी सरल भाषा में मिले।

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