UP Shikshak Shikshamitra News: समर कैंप पर मचा बवाल: शिक्षामित्रों ने जताया विरोध, सरकार पर लगाया सौतेले व्यवहार का आरोप
- गर्मी की छुट्टियों में समर कैंप का फैसला बना विवाद
- शिक्षकों को मिला विकल्प, शिक्षामित्रों पर जबरदस्ती?
- संघों का कहना- बच्चों और शिक्षामित्रों के स्वास्थ्य से खिलवाड़
- कहा गया- शिक्षामित्रों से हो रहा है सौतेला व्यवहार
- जून का वेतन भी नहीं मिलता, फिर भी ड्यूटी?
- 6000 रुपए मानदेय, लेकिन क्या यह काफी है?
- संगठनों की चुप्पी पर उठे सवाल
- शिक्षामित्रों की नाराजगी बढ़ रही
गर्मी की छुट्टियों में समर कैंप का फैसला बना विवाद
UP Shikshak Shikshamitra News: उत्तर प्रदेश में 20 मई से 15 जून तक गर्मी की छुट्टियां घोषित की गई हैं। लेकिन इन छुट्टियों के बीच समर कैंप के आयोजन को लेकर विवाद बढ़ता जा रहा है। खासकर शिक्षामित्रों और अनुदेशकों के लिए यह बड़ा मुद्दा बन गया है। शिक्षकों को जहां समर कैंप में भाग लेने का विकल्प दिया गया है, वहीं शिक्षामित्रों और अनुदेशकों के लिए यह मजबूरी बनती नजर आ रही है।
शिक्षकों को मिला विकल्प, शिक्षामित्रों पर जबरदस्ती?
राज्य सरकार ने यह साफ किया है कि यदि कोई शिक्षक समर कैंप में हिस्सा लेता है तो उसे अतिरिक्त लाभ और छुट्टियों की सुविधा दी जाएगी। लेकिन शिक्षामित्रों और अनुदेशकों के लिए यह विकल्प नहीं बल्कि आदेश के तौर पर लागू किया जा रहा है। शिक्षकों को मिला विकल्प शिक्षामित्रों को नहीं मिली छूट स्वास्थ्य पर चिंता संसाधनों की कमी
संघों का कहना- बच्चों और शिक्षामित्रों के स्वास्थ्य से खिलवाड़
शिक्षक और शिक्षामित्र संगठन ने समर कैंप को अव्यवहारिक करार दिया है। उनका कहना है कि इस तेज गर्मी में न तो बच्चों का स्कूल आना सुरक्षित है और न ही शिक्षामित्रों का काम करना। गांवों में बिजली की भारी किल्लत और स्कूलों में संसाधनों की कमी पहले से ही बड़ी समस्या है।
कुछ मुख्य बातें:
जूनियर स्कूलों में बिजली नहीं आती अनुदेशकों की भारी कमी बच्चों की संख्या लगातार घट रही समर कैंप में कोई तैयारी नहीं
कहा गया- शिक्षामित्रों से हो रहा है सौतेला व्यवहार
शिक्षामित्रों का कहना है कि जब शिक्षकों को पूरा वेतन मिल रहा है और उनके पास विकल्प भी है, तो सिर्फ शिक्षामित्रों को ही समर कैंप में क्यों लगाया जा रहा है। उनका सवाल है कि क्या उन्हें गर्मी नहीं लगती? क्या उनके स्वास्थ्य की कोई कीमत नहीं है? शिक्षकों को विकल्प शिक्षामित्रों को आदेश समानता के अधिकार का उल्लंघन
जून का वेतन भी नहीं मिलता, फिर भी ड्यूटी?
शिक्षामित्रों ने यह भी सवाल उठाया है कि उन्हें जून महीने का वेतन भी नहीं दिया जाता, फिर भी उन्हें गर्मियों में स्कूल बुलाना कहां तक सही है? कुछ शिक्षामित्रों ने यह भी कहा कि जब शिक्षक कुल्लू-मनाली घूमते हैं, तो उन्हें समर कैंप में झोंक देना कहां का इंसाफ है?
शिक्षामित्रों की मांग:
समर कैंप में सबकी बराबर ड्यूटी लगे जून का वेतन दिया जाए गर्मी में काम से छुट्टी मिले
6000 रुपए मानदेय, लेकिन क्या यह काफी है?
समर कैंप में ड्यूटी करने पर शिक्षामित्रों को 6000 रुपए मानदेय और स्कूल को स्टेशनरी के लिए 2000 रुपए दिए जाने की बात सामने आई है। लेकिन शिक्षामित्रों का कहना है कि इतनी भीषण गर्मी में इतने कम पैसों में काम कराना ठीक नहीं है। यह केवल खानापूर्ति है, न कि कोई राहत।
संगठनों की चुप्पी पर उठे सवाल
उत्तर प्रदेश प्राथमिक शिक्षामित्र संघ और बीटीसी शिक्षक संघ जैसे बड़े संगठन इस मुद्दे पर अभी तक चुप हैं। शिक्षामित्रों का कहना है कि जब उन्हें कोई समर्थन नहीं मिल रहा, तब ये संगठन भी चुप्पी साधे हुए हैं। कोई प्रेस बयान नहीं मांगों को लेकर कोई आवाज नहीं शिक्षामित्र खुद कर रहे हैं संघर्ष
शिक्षामित्रों की नाराजगी बढ़ रही
शिक्षामित्रों में इस फैसले को लेकर जबरदस्त नाराजगी है। वे सरकार से मांग कर रहे हैं कि या तो समर कैंप पूरी तरह से बंद किया जाए या फिर सबको बराबरी से शामिल किया जाए। शिक्षामित्रों का कहना है कि उन्हें मजबूर ना किया जाए, बल्कि इंसान समझा जाए।
नाराज शिक्षामित्रों की मुख्य मांगें:
समर कैंप में सबके लिए समान नियम स्वास्थ्य का ध्यान रखा जाए जून का वेतन तय हो सौतेले व्यवहार को रोका जाए
समर कैंप का विचार भले ही अच्छा हो, लेकिन जब यह सिर्फ कुछ खास लोगों पर थोपा जाए तो विवाद होना तय है। शिक्षामित्र और अनुदेशक सरकार से समानता और सम्मान की मांग कर रहे हैं। अब देखना यह है कि सरकार इस नाराजगी को कैसे संभालती है। ऐसी और खबरों के लिए जुड़े रहें।
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