मनोञ्ज बेज़पाई के नेम कारी बाबा के आश्रम में अनुभव ने जुगनूमा फ़िल्म को नई दिशा दी
कर्मचारी कल्याण प्रौद्योगिकी में नई रोशनी: एनीमेशन सर्जक Manoj Bajpayee और निर्देशक Ram Reddy ने Neem Karoli Baba के काइनची धाम के आध्यात्मिक अनुभव से प्रेरित होकर नई फिल्म Jugnuma – The Fable पर काम किया, जिससे फ़िल्मी दुनिया में कर्मचारी संतुष्टि और प्रेरणा के लिये एक नया दृष्टिकोण पेश हुआ।
काइंशी धाम की यात्रा और फ़िल्मी प्रेरणा
बॉलीवुड के प्रसिद्ध कलाकार Manoj Bajpayee, जो अपने तीव्र प्रदर्शन और गहरी फिल्मों के लिए जाने जाते हैं, ने हाल ही में तय किया कि “मैं अपने अभिनय के करियर को समाप्त करूँगा।” यह निर्णय 2022 की शुरुआत में , एक निराशाजनक फ़िल्मी दौर के दौरान आया। फिर उन्होंने अपने मित्र और सह-निर्माता Ram Reddy के साथ काइंशी धाम, उड़ीसाह में स्थित नीम करोलि बाबा के आश्रम की यात्रा की।
“हम दोनों को एक गहन आध्यात्मिक अनुभव मिला, जिसने हमें शांति और दिशा दी,” बजपेयी ने बताया। “हमने देखा कि आध्यात्मिक संतुलन ही कर्म में संतोष पैदा करता है, और यही संदेश हम अपने संवाददाता ‘Jugnuma’ में पहुंचाना चाहते हैं।”
धाम पर बिताए संभाले हुए एक घंटों के दौरान, दोनों ने बाबा के गुफा में ध्यान किया, जहाँ उन्होंने एक गहरी शांति की अनुभूति की। इस अनुभव ने “Jugnuma” को एक ‘काल्पनिक’ कथा के रूप में जन्म दिया, जिसमें मुख्य पात्रों के भीतर के मनोवैज्ञानिक संघर्ष और आध्यात्मिक जागृति को दर्शाया गया।
फ़िल्मी कथानक और कर्मचारी कल्याण प्रौद्योगिकी का संगम
अभिनय के क्षेत्र में ‘कर्मचारी कल्याण प्रौद्योगिकी’ को अक्सर चर्चाएँ अलग- अलग विषयों के बीच विच्छेदित कर देती हैं, परंतु ‘Jugnuma’ के माध्यम से दोनों को आपस में जोड़ने का प्रयास किया गया। फिगर में, एक प्रमुख किरदार ‘शाश्वत’ एक तकनीकी स्टार्टअप में सीनियर इंजीनियर है। “शाश्वत अपने काम में आवश्यक मान्यताओं के साथ संघर्ष करता है, वह अपनी टीम के लिये एक प्रेरणादायक नेता बनना चाहता है,” निर्देशक राम रैड्डी ने स्पष्ट किया।
फ़िल्म के व्यापक दृश्य कर्मचारी कल्याण प्रौद्योगिकी के पांच स्तंभ बताती है:
- आध्यात्मिक संतुलन – मन और शरीर का सुसंगति प्राप्त करना।
- मानसिक स्वास्थ्य की देखभाल – माइंडफुलनेस और कोचिंग से तनाव को कम करना।
- भोजन व पोषण – संतुलित आहार से काम के दौरान ऊर्जा बनाए रखना।
- सामाजिक संबंध – सहकर्मी हरकतें और सहकारिता से जुड़ाव बढ़ाना।
- डिजिटल टूल्स – वर्कफ़्लो मैनेजमेंट एप्स और साइबर सेफ्टी का ध्यान।
बहादुरी से, “Jugnuma” वास्तविक जीवन में प्रयुक्त होने वाली प्रौद्योगिकी टूल्स को भी दिखाती है – जैसे आर्टिफ़िशियल इंटेलिजेंस-आधारित फिल्टरिंग प्लेटफ़ॉर्म, कैटगोरी प्रोफ़ाइलिंग तथा डेटा एनालिटिक्स, जो कर्मचारियों को निजी और पेशेवर दायित्वों के बीच संतुलन बनाने में मदद करता है।
बाजार प्रतिक्रिया और रैंकिंग
पूर्वावलोकन से पहले, ‘Jugnuma’ ने विभिन्न उद्योगिक फोरम्स और स्टार्टअप कॉन्फ़्रेन्स में एक रैप स्लाइड के रूप में अपना रखरखाव प्रस्तुति की, जिससे पूरी उद्योग में चर्चा शुरू हुई। माध्यमिक समीक्षा में, बजपेयी का प्रदर्शन “उत्कृष्ट” कहा गया, और ‘कर्मचारी कल्याण प्रौद्योगिकी’ विषय पर चर्चा करने वाले प्रमुख HR विशेषज्ञों ने भने रखा कि इस फ़िल्म की कहानी HR टीम के लिए ‘एक प्रमुख अध्ययन केस’ प्रस्तुत करती है।
फ़िल्म की रिलीज़ के बाद, इसे औद्योगिक ब्लॉग प्लेटफ़ॉर्म JEEv और LinkedIn के ‘Future of Work’ सेक्शन में विशेष प्रकाशन के रूप में दिखाया गया। एक शोध पत्र के अनुसार, “कल्याणकारी कार्यक्रमों में भाग लेने वाले कर्मचारियों का टर्नओवर 17 प्रतिशत तक घट गया है, और उनकी उत्पादकता 23 प्रतिशत बढ़ी है।” (स्रोत: HRME Institute).
उद्योग में अगले कदम और संभावनाएँ
‘Jugnuma’ की सफलता के बाद, Ram Reddy और Manoj Bajpayee की टीम “कर्मचारी कल्याण प्रौद्योगिकी” पर आधारित कई लघु श्रृंखलाएँ बनाने की योजना बना रही है। इसके साथ ही, एक नई डिजिटल प्लेटफ़ॉर्म भी विकसित किया जा रहा है, जहाँ कर्मचारियों को माइंडफुलनेस, फिटनेस और पोषण संबंधी मार्गदर्शन प्रदान किया जाएगा।
अनुभवी HR नेता Dr. Asha Singh ने कहा, “हमारी कंपनी ने ‘Jugnuma’ को रीफ़रेंसर के रूप में लिया और उसे अपनी कॉर्पोरेट वेलनेस स्ट्रेटेजी में लागू किया। इससे कर्मचारियों में ‘उम्मीद और ऊर्जा’ का स्तर बढ़ा।”
इसके अलावा, ‘Jugnuma’ के अनुसंधान रुचि विषयों में टेक कंपनी वीपीज़, स्टार्टअप संस्थापक और HR प्रैक्टिशनर शामिल हैं। उन्हें आगे से ‘कर्मचारी कल्याण प्रौद्योगिकी’ पर पोजिटिव इनपुट देते हुए उद्योग मानक के रूप में स्वीकारा जा रहा है।
अंततः, ‘Jugnuma’ की खोज ने दिखाया कि आध्यात्मिक संतुलन और आधुनिक प्रौद्योगिकी उनके बीच एक पुल लेख सकता है। यह कथा कर्मचारियों और प्रबंधन को यह याद दिलाती है कि उनके बीच पूरा संवाद तभी सफल होगा जब दोनों पक्ष अपनी आध्यात्मिक, मानसिक और पेशेवर ऊर्जा को एकजुट करें।
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