मनो ज्या: अध्यात्मिक यात्रा ने कार्यस्थल पर प्रेरणा के नए सिद्धांत खोले
तीसरी विश्व युद्ध के बाद आज भी संगठनात्मक संस्कृति और कर्मचारी प्रेरणा के बीच जटिल संबंध को समझना कोई आसान काम नहीं है। हाल के बारह महीनों में भारत की कई प्रमुख कंपनियों ने अपनी प्रबंधन नीतियों में आध्यात्मिक मूल्य, mindfulness और आदर्श सिद्धांतों को शामिल करके यह साबित कर दिया है कि संतुलित मनोवस्था प्रदर्शन और मनोबल दोनों को बढ़ावा देती है। ५ जून २०२५ को पुणे में आयोजित “Employee Well‑Being & Productivity Summit” में साक्षात्कार किये गए सर्वेक्षण के अनुसार, ७०% प्रतिभागियों ने रिपोर्ट किया कि आध्यात्मिक अभ्यास ने उनकी कार्यक्षमता और सहयोग को सुदृढ़ किया है।
संगठनात्मक संस्कृति का नया प्रतिमान – मनो ज्या
सभी सत्रों का मुख्य विषय था “मनो ज्या” – एक समग्र दृष्टिकोण जो व्यक्तिगत आध्यात्मिक विकास को कंपनी की रणनीतिक दिशा के साथ जोड़ता है। २२ वैश्विक कंपनियों के HR डायरेक्टर्स ने बताया कि उन्होंने अपने कर्मचारियों को ध्यान, योग और आत्म-अवलोकन के पाठ्यक्रमों से अवगत कराया, जिससे उनके निर्णय लेने की क्षमता और तनाव प्रबंधन कौशल में स्पष्ट सुधार देखा गया।
- इन कार्यक्रमों में २,००० से अधिक कर्मचारियों ने भाग लिया और ८५% ने कॉल-आउट कम करने की रिपोर्ट की।
- कंपनियों के भीतर कर्मचारी परिश्रम समय में औसत ३२% की वृद्धि हुई, जबकि ऑपरेशनल लागत में १४% की कमी आई।
- नवीनतम Glassdoor सर्वेक्षण में यह पाया गया कि ६८% कर्मचारियों का मानना है कि आध्यात्मिक केस प्रोत्साहन से नौकरी संतुष्टि बढ़ती है।
वैश्विक रूप से, कॉर्पोरेट कॉन्फ़्रेंस के दौरान एक प्रमुख प्रस्तोता ने कहा: “विश्वास और आत्मिक ऊर्जा के बीच गहरा संबंध है। जब कर्मचारी भीतर की शांति पाते हैं, तो वे अधिक रचनात्मक, सहकारी और नवाचारी बनते हैं।”
कर्मचारी प्रेरणा और विकास: अंतरराष्ट्रीय छात्रों के लिए व्यावहारिक अंतर्दृष्टि
अनेक अंतरराष्ट्रीय अध्ययनरत छात्र नौकरी की खोज के साथ सांस्कृतिक परिवर्तनों का सामना करते हैं। अब कोचिंग और करियर ट्यूटोरियल्स में आध्यात्मिक टूल्स को शामिल करना एक नया ट्रेंड बन रहा है। ४ जून २०२५ के एक सर्वेक्षण के आधार पर, ५८% अंतरराष्ट्रीय छात्रों ने ऑनलाइन प्लेटफ़ॉर्म के माध्यम से माइंडफुलनेस और ध्यान के प्रोग्राम का उपयोग किया, जिससे उन्होंने अपनी तल्लड़िकी कौशल, संचार और निर्णय लेने की दक्षता में सुधार महसूस किया।
विभिन्न विश्वविद्यालयों के HR कैरियर सेंटर ने अभी नया प्रोग्राम “Students for Success” लॉन्च किया, जिसमें यूके, ऑस्ट्रेलिया और यूएसए के सर्वश्रेष्ठ प्रैक्टिस के आधार पर व्यक्तिगत आध्यात्मिक कार्यशालाएँ शामिल हैं। ये कार्यशालाएँ छात्रों को नयी भूमिका में अनुकूलन, लक्ष्य निर्धारण और कार्य-जीवन संतुलन पर गाइड करती हैं।
एक केस स्टडी में इस प्रोग्राम के तहत एक भारतीय छात्र ने बताया, “मुझे एक गहरी श्वसन तकनीक सीखने के बाद अपने समय प्रबंधन में २८% सुधार महसूस हुआ।” यह आकृति उन वैश्विक रुझानों को दर्शाती है जहां कर्मचारियों की आत्मिक सहनशीलता को संगठनात्मक सफलता के लिए एक प्रमुख कारक माना जा रहा है।
आधारभूत सिद्धांत: प्रेरणा के चार स्तंभ
रिचर्ड ब्राउन्स (Harvard Business Review) के अनुसार प्रेरणा का मूल चार स्तंभ हैं:
- अर्थपूर्ण काम (Meaningful work)
- प्रशंसित नेतृत्व (Appreciative leadership)
- सकारात्मक संस्कृति (Positive culture)
- आध्यात्मिक सामान्यता (Spiritual congruence)
इन स्तंभों को एकीकृत करना अब बहुचर्चित है। १२ जून २०२५ को दुबई में आयोजित एक पैनल चर्चा में, मध्य पूर्व के एक प्रमुख टेक फर्म ने बताया कि उन्होंने टीम बैठकों में एक मिनिट का प्रार्थनात्मक ध्यान शामिल किया, जिससे टीम के बीच विश्वास में ४५% की वृधि हुई।
उद्योग में सफल केस – ग्रीन टेक की प्रगति
भारत की अग्रणी ग्रीन टेक कंपनी, “इकोआइकॉन” ने अपने नवीनतम CSR रिपोर्ट में लिखा कि उन्होंने १०,००० कर्मचारियों को “माइंडफुलनेस” वर्कशॉप्स में भाग लेने के लिए प्रोत्साहित किया। २०% ने बताया कि उनकी आत्म-चिंतन ने उन्हें परियोजना प्रबंधन में नई रणनीति अपनाने के लिए प्रेरित किया। कंपनी के CEO ने टिप्पणी की: “हमारी संस्कृति अब केवल उत्पाद नवाचार नहीं बल्कि व्यक्तिगत भावना का भी केंद्र है।”
सारांश एवं नीति सिफारिशें
इस नवीन पद्धति के आधार पर, नीति निर्माताओं और HR पेशेवरों को निम्नलिखित सिफारिशें माननी चाहिए:
- कार्यस्थल पर आध्यात्मिक अवकाश और शांति का समय अनिवार्य बनाना।
- आत्मीय कार्यशालाओं के लिए बजट में १०% वृद्धि।
- अंतरराष्ट्रीय कर्मचारियों के लिए सांस्कृतिक अनुकूलन कार्यक्रमों में आध्यात्मिक शिक्षण का समावेश।
- प्रेरणा मैट्रिक्स में आध्यात्मिक संकेतक जोड़ना, जिससे प्रदर्शन और कल्याण की गुणवत्ता मापी जा सके।
कुल मिलाकर, ये परिवर्तन दिखाते हैं कि कर्मचारी प्रेरणा और विकास का नया प्रतिमान अब संतुलित मनोवृत्ति, आध्यात्मिक अभ्यास और संगठनात्मक मूल्यों के सम्मेलन पर आधारित है। जैसा कि प्यू रिसर्च के २०२५ के विश्व सर्वेक्षण से स्पष्ट हुआ कि ६८% वैश्विक कार्यस्थलों में आध्यात्मिक कार्यक्रम लागू की गई हैं, ये निष्कर्ष भविष्य की HR रणनीतियों के लिए एक आधारशिला साबित होंगे।
Post Comment