महाराष्ट्र के 95,000 वाहन अब लगे GPS ट्रैकिंग, महिलाओं की सुरक्षा में नई उड़ान

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99,974 महाराष्ट्र के सार्वजनिक सेवा वाहनों में अब GPS ट्रैकिंग डिवाइस (VLTD) स्थापित किए जा चुके हैं, जिससे महिलाओं और बच्चों की सुरक्षा में नई उड़ान भरी जा रही है। और भी 25,000 वाहन आने वाले महीनों में इस प्रणाली के अंतर्गत आएंगे, यह जानकारी रविवार को मुंबई के एंडेरि RTO से मिली।

मुख्य अपडेट: 95,000 वाहनों पर GPS ट्रैकिंग का तैनाती

महाराष्ट्र मोटर व्हीकल्स डिपार्टमेंट (MMVD) के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि “94,974 वाहनों में GPS‑सक्षम VLTD लगाया गया है।” यह संख्या 2 करोड़ 43 लाख पंजीकृत वाहनों के बीच एक छोटी, परंतु महत्वपूर्ण प्रतिशत है। यह आंकड़ा न केवल डाटा की सटीकता के लिये बल्कि महिला यात्री सुरक्षा के लिये भी एक निर्णयकारी कदम को दर्शाता है।

गाज़ के तहत, MV नियम 125H (केंद्रीय मोटर व्हीकल्स नियम 1989 में संशोधित) ने जनवरी 1, 2019 से सभी सार्वजनिक सेवा वाहनों को ट्रैकिंग डिवाइस और एसओएस बटन से लैस करने का निर्देश दिया है। महाराष्ट्र सरकार ने इसे 2024 के अक्टूबर में पूर्ण रूप से लागू किया।

रियल‑टाइम ट्रैकिंग और SOS सुविधाओं का संचालन

आन्डेरि RTO में स्थापित नियंत्रण कक्ष 24×7 सक्रिय है। यहाँ पर हर एसओएस पिंग का तात्कालिक अपडेट मिलता है। “अगर किसी यात्री को अस्पताल या पुलिस से सहायता चाहिए, तो वह लाल बटन दबा सकता है, और तुरंत नियंत्रण कक्ष को उसकी लोकेशन और स्थिति की जानकारी भेजी जाती है,” MMVD अधिकारी ने स्पष्ट किया।

इस ट्रैकिंग डिवाइस में GPS मॉड्यूल के साथ ही इंटिग्रेटेड पैनिक बटन और बॅटरी बैकअप है। यह सुनिश्चित करता है कि जब वाहन बंद हो जाएं या बैटरी खत्म हो जाए, तब भी एसओएस भेजा जा सके। इसने खासकर स्कूल बस्क और स्टेज कार्गो बसों में महिलाओं और बच्चों की सुरक्षा को नई दिशा दी है।

  • कुल पंजीकृत सार्वजनिक सेवा वाहन: 4.9 करोड़
  • 34,001 टूरिस्ट और लग्जरी कैब्स में से 3.99 लाख
  • 85,204 कॉन्ट्रैक्ट कैरिज व मिनीबस
  • 38,492 स्कूल बसें
  • 27,523 स्टेज कैरिज बसें

उपरोक्त आँकड़ों में से अभी भी केवल 95% वाहनों पर DLTL लागू है; बचे हुए 5% पर यह टैककोर लागू नहीं हुआ है। हालांकि, सरकार का संकल्प है कि अगले दो वर्षों के भीतर सभी पंजीकृत वाहनों को कवर कर लिया जाएगा।

सामना कर रहे प्रमुख चुनौतियाँ और अनुपालन पर कार्रवाई

इन ट्रैकिंग डिवाइस के बावजूद, बड़ी संख्या में वाहन अभी भी फंक्शनल नहीं हैं। इस सप्ताह रिपोर्ट के अनुसार 18,900 डिवाइस असंचालित हैं, जबकि केवल 76,085 के सक्रिय हैं। “हम अपने RTOs से लगातार पत्र भेज रहे हैं, जिसके तहत गैर-कार्यशील डिवाइस को तुरन्त सुधारने के निर्देश दिए जा रहे हैं,” MMVD अधिकारी ने कहा।

मोटर व्हीकल्स नियमों के अनुसार, गैर-अनुपालन पर जुर्माना, अनुमति निलंबन या फिटनेस प्रमाणपत्र रद्दीकरण जैसे दण्ड लगाए जा सकते हैं। इन उपायों के तहत, बोर्डरूम से लेकर अधिक जमीनी स्तर पर भी कृषक और प्राइवेट फर्मों को समय पर चेक-इन और मरम्मत की सलाह दी जा रही है।

इसके अलावा, वास्तविक ट्रैकिंग सॉफ्टवेयर को भी लगातार अपडेट किया जा रहा है। प्लेटफ़ॉर्म की उत्तरदायित्व सुधार हेतु, टैग ऑनकार्लो (TagOnCaro) के साथ आउटसोर्स्शन कोडिंग का इस्तेमाल किया जा रहा है, जिससे विजिबिलिटी और डेटा प्रॉसेसिंग दोनों में अधिक गति आ रही है।

भविष्य की दृष्टि: महिलाओं के लिए सुरक्षित सार्वजनिक परिवहन पर एक घरेलू बदलाव

बिहार, तमिलनाडु और पटना जैसी राज्यों की तुलना में महाराष्ट्र अब एक कदम आगे है। ट्रैकिंग डिवाइस का विस्तार सड़क सुरक्षा और नागरिक अधिकारों में एक मॉडल केस के रुप में दिखाया जा रहा है। इस परियोजना का आधा हिस्सा एक नारी सुरक्षा कोष (निरभया फंड) से वित्त पोषित है, जिसका उद्देश्य सार्वजनिक परिवहन में महिलाओं को बेहतर सुरक्षा देना है।

जो छात्र और वर्कर भारतीय वीज़ा के तहत पुणे, अहमदाबाद या नागपुर में अध्ययनरत हैं, वे भी इन्हें लाभान्वित देख सकते हैं। यदि किसी छात्र को ट्यूशन के साथ बस या शटल द्वारा यात्रा करनी होती है, तो उसे वास्तविक समय में लोकेशन अपडेट और SOS सुविधा मिलती है। यह एक नया स्तर का मानसिक शांति जोड़ता है।

विश्वास है कि अगर यह नीति सही से लागू रहती है, तो महाराष्ट्र के 4.9 करोड़ वाहनों में से अब लगभग 99% ट्रैक्ड हो जाएंगे। “हमें यह सुनिश्चित करना है कि ट्रैकिंग प्रणालियाँ लगातार अपडेट और अनुरक्षित रहें,” MMVD अधिकारी ने कहा। इससे भविष्य में दुर्घटना की स्थिति में आपातकालीन सेवाएँ तुरंत प्रत्युत्तर दे सकेंगी।

सारांश में, महाराष्ट्र के 95,000 सार्वजनिक सेवा वाहनों पर GPS ट्रैकिंग का तैनाती, भारत के भीतर महिला सुरक्षा को एक नई दिशा दे रही है। राज्य सरकार और गर्दी वाली फीस निवारक टीमों के बीच सहयोग से यह परियोजना सर्वोत्तम सुरक्षा सुनिश्चित करेगी। महाराष्ट्र GPS ट्रैकिंग ट्रैकिंग डिवाइस की इस पहल के माध्यम से महाराष्ट्र की जनता को नयी सुविधा और सुरक्षा मिलने की उम्मीद जताई जा रही है।

नमस्कार! मैं प्रवीन कुमार, एक पत्रकार और लेखक हूं। मैं राजनीति, मनोरंजन, खेल और तमाम बड़ी खबरों पर लिखता हूं। मेरी कोशिश रहती है कि आपको सही और सटीक जानकारी सरल भाषा में मिले।

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