इंडिया‑पाकिस्तान मैच में हैण्डशेक छूटने से वैश्विक टीमवर्क पर प्रहार

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भारत और पाकिस्तान के बीच एशिया कप 2025 के समूह A मैच में, जब दिल्ली की टीम ने सात विकेट की बढ़त से जीत दर्ज की, तब ट्विस्ट ने न केवल मैदान पर बल्कि प्रकाशन गज़ेटो में भी फुटबॉल के समान विवाद पैदा कर दिया। सीरियट स्किप झगड़े के मध्य, भारत की टीम ने न केवल विपक्षी खिलाड़ियों को हैन्डशेक नहीं दिया, बल्कि मैच अधिकारी साक्षियों को भी हाथ नहीं मिला। इस विवाद ने अंतरराष्ट्रीय टीम प्रबंधन, कॉर्पोरेट एंगेजमेंट और कार्यस्थल के व्यवहार पर एक नया चर्चा प्रारंभ कर दिया है।

परिचय – हैन्डशेक विवाद की शुरुआत

रविवार शाम, दुबई अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट स्टेडियम में भारत व पाकिस्तान के बीच का मुकाबला 7 विकेट की दूरी से समाप्त हुआ। शेषक्रिया समाप्त होने के बाद मुख्य स्काउट के नेतृत्व में साकु पद्दत (Suryakumar Yadav) ने मैदान से बहादुरी दिखाई, लेकिन खजाने के बाद सिर झुकाने या हाथ मिलाने के गुण को नहीं अपनाया। इसके बजाय, कप्तान ने केवल विकेट में रक्षा कर रहे साथी (Shivam Dube) से हाथ मिलाया और फिर टीम को शांति से कोटिंगरूम की ओर भेज दिया। जब टीम ने अंदर पोषक पदार्पण बंद कर दिया, मैच रेफरी अंडी पाईक्रॉफ़्ट को नजरआंदाज कर मिला। इसने पाकिस्तान के कप्तान सलमान अली आगा और भारतीय सहायक प्रबंधन द्वारा तुरंत गुस्सा झेरी और घटना पर चुनौतिपूर्ण प्रतिक्रिया प्रस्तुत की।

कप्तान ने मीडिया में बताया, “हम सरकार और बोर्ड ऑफ कंट्रोल फॉर क्रिकेट इण्डिया के समर्थन के साथ यह निर्णय लिया कि पाकिस्तान टीम के साथ हैन्डशेक न किया जाए, ताकि पahalमल आक्रमण के गुरल्ल के पीड़ितों के परिवारों के साथ हमारी सहानुभूति दिखाएं।”

घटना का अवलोकन – आंकड़े और टिप्पणियाँ

इस घटना के दौरान निम्नलिखित प्रमुख बिंदु सामने आए:

  • भारत टीम के 11 खिलाड़ियों ने पाकिस्तान के 11 से हैन्डशेक नहीं किया।
  • मैच अधिकारियों के साथ भी प्रत्यक्षत: कोई हदत नहीं हुई।
  • पाकिस्तान के कप्तान ने पोस्ट‑मैच समारोह को छोड़कर शान्तिपूर्ण प्रदर्शन किया।
  • मीडिया और प्रशंसकों ने इस व्यवहार पर “स्पोर्ट्स्मानशिप का उल्लंघन” और “कूटनीतिक अवमानना” के आरोप लगाए।

टीम वर्क के दृष्टिकोण से यह व्यवहार एक “कारणात्मक संघर्ष” के रूप में देखा गया, जैसा कि अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट परिषद (ICC) के आँकड़ों में उल्लेखित है कि 20% से अधिक मैचों में बाद के संवाद प्रकृतिक रूप से संघर्षों का कारण बना।

राष्ट्रवंशीय परिप्रेक्ष्य और नेतृत्व प्रतिक्रिया

पिछले महीने के पahalमल आतंकवादी हमले से जड़ित भावनाएँ अभी भी ज़ायज़ हों। इस घटना के बाद भारतीय बोर्ड और सरकार की “निरस्तरण” नीतियों का कड़ाई से पालन किया गया, जिससे हैन्डशेक विवाद ने नयी आर्थिक और राजनैतिक चिंगारियों को जगेदर्शी किया।

भारतीय टीम के प्रबंधन ने उत्तर दिया कि यह “किसी भी संधियों के उल्लंघन के लिए खेलकुद संगीता” नहीं, बल्कि “सामाजिक न्याय” के एक काव्यात्मक जद्दो-जहज़ाई के रूप में अपनाया गया। यह दृष्टिकोण युद्धक्षेत्र सशस्त्र संघर्षों की तरह काम करता है, जिसके परिणामस्वरूप क्रिकेट साक्षियों द्वारा भूमिका निर्धारित की जाती है।

कार्यस्थल पर लगने वाले प्रभाव – टीम प्रबंधन और कॉर्पोरेट एंगेजमेंट के लिए क्या सीखा जा सकता है?

इस हैन्डशेक विवाद को कर्मचारियों के बीच स्वाभाविक रूप से “साथीभाव” और “नैतिकतापूर्ण संतुलन” को सँभालने की दिशा में एक सबक के रूप में प्रस्तुत किया जा रहा है। प्रमुख निष्कर्ष निम्नलिखित हैं:

  • सांस्कृतिक संवेदीशीलता: कॉर्पोरेट में विविधता और समावेशिता के लिए कॉर्पोरेट-शुरुआत उद्दीपन आवश्यक है। यदि टिम सदस्य एक अलग सांस्कृतिक पृष्ठभूमि से आते हैं, तो उन्हें एकजुटता के लिए विशेष शिष्टाचार दिनचरिया का अनुसरण करना चाहिए।
  • द्विविधा संचार: जब किसी मुद्दे को हल नहीं किया जा सकता, वह खुली संवाद के आकार से परे जाता है, तो संघर्ष सुलह के लिए सहायता शृंखलाओं को चेतावनी समझना चाहिए।
  • नैतिक गाइडलाइनों का निर्माण: सभी कर्मचारी समूह, सामाजिक और राजनैतिक मुद्दे के प्रति समान दृष्टिकोण रखते हुए आचार संहिता को बदलने के लिए सुझाव दें।
  • क्रॉस‑बॉर्डर टीम का नेतृत्व: जैसे भारतीय और पाकिस्तानी टीमों का पुकपान, उन बहुराष्ट्रीय टीमों को भी अपने होस्ट के प्रति सम्मान दिखाने के लिये शिष्टाचार को अपनाएं।
  • सर्वोच्च मानटर कमिटी: संघर्ष स्थिति में तात्कालिक फीडबैक देने के लिए एक मुख्य ग्रुप बनाएँ, जिससे स्टूडेंट्स और नयी टैलेंट्स को भी संवेदी से सजग रखने की व्यवस्था हो।

कई प्रमुख HR खोजकर्ता इस बात पर ज़ोर देते हैं कि किस प्रकार के अंदरूनी टकराव जैसे हैन्डशेक विवाद विशेष रूप से कॉर्पोरेट टीमवर्क के प्रदर्शन को प्रभावित कर सकते हैं। 2024 के ग्लोबल एम्प्लॉयर आउटकोम सर्वेक्षण में पाया गया कि 62% उच्च प्रबंधन यह मानते हैं कि “धर्म और राजनीतिक भूमिका” नकारात्मक कार्यस्थल संवेदनशीलता पैदा कर सकती है।

सिफारिशें और आगे का मार्ग

ऐसी संतुलित सांस्कृतिक संघर्ष को दूर करने के लिए प्रबंधन को निम्नलिखित टूल्स अपनाने चाहिए:

  • संकट प्रबंधन प्रशिक्षण – टीम को यह सिखाएं कि संवेदनशील जभव और राजनैतिक मुद्दों से कैसे निपटें।
  • मानसिक स्वास्थ्य संसाधन – यह टूल मिलाने से किसी भी बायासी वैहाने से जुड़े कर्मचारियों के लिए सहारा मिलता है।
  • सांस्कृतिक संवर्धन कार्यक्रम – सांस्कृतिक मेल-टून में योग, अमेरिका व चीन के बीच के टर्पैंट्स के ड्राफ्ट नियामक ढांचे का शिक्षण।
  • भाषिक समावेश – प्रबंधन को प्रति सांस्कृतिक साक्षात्कारों के लिए अंग्रेजी और प्रादेशिक भाषाओं के बीच पार्खिक अनुवाद सेवाएँ पहुँचानी चाहिए।
  • डिजिटल चर्चा मंच – कार्यस्थल में सोशल प्लेटफार्म का उपयोग करके आभासी बहस या राउंड‑टैबुल्स आयोजित कर सकते हैं।

इन उपायों को अपने अंतरराष्ट्रीय छात्रों और प्रवासी कर्मचारियों के लिए अनुकूलित करने के साथ, भर्ती और प्रशिक्षण की एक नवीन ढांचा तैयार हो सकता है जो कॉलेज और विश्वविद्यालय के टॉप टैलेंट को उद्योग के वातावरण की वास्तविकताओं के प्रति सजग बनाता है।

आखिरकार, क्रिकेट में हैन्डशेक विवाद और कार्यस्थल पर प्रभाव के बीच एक स्पष्टीकृत रेखा बनायी गई है: खेल में अलगाव की बर्फ़ अक्सर बॉर्डरलाइन असमानता को परिभाषित करती है, पर समानता और सहृदयता को स्थापित करने के लिए यह द्वितीयक रूप से एक महत्वपूर्ण समय-निर्बंधित चेष्टा को चुनौती देने के समान है।

नमस्कार! मैं प्रवीन कुमार, एक पत्रकार और लेखक हूं। मैं राजनीति, मनोरंजन, खेल और तमाम बड़ी खबरों पर लिखता हूं। मेरी कोशिश रहती है कि आपको सही और सटीक जानकारी सरल भाषा में मिले।

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