डबई में ड्रामा: भारत ने पाकिस्तान के साथ शेकआउट से इनकार, कोच गुस्से में

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डबई के अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट स्टेडियम में आज का दिन भारत–पाकिस्तान के प्रतिष्ठित संघर्ष को फिर से ताज़ा कर रहा है, जहाँ भारत ने 7 विकेट से जीत दर्ज की, पर एक विवादास्पद शेकआउट घटना ने मिलते-जुलते खेल भावना को पूरी तरह चकनाचूर कर दिया। खेल प्रेमियों और सामाजिक नेटवर्क पर “भारत पाकिस्तान शेकआउट विवाद” की चर्चा की लहरें तेज़ी से फैल गई हैं।

प्रमुख घटना का त्वरित सारांश

आईसीसी एशिया कप के ग्रुप ए मुकाबले में, भारत ने 128 रन के लक्ष्यों पर 15.5 ओवर में 131/3 के साथ जीत दर्ज की। लेकिन जब साक्षी के बाद शेकआउट का समय आया, तो भारतीय टीम के प्रमुख खिलाड़ी सूर्यकुमार यादव और शिवम दुबे ने बिना किसी हँसते हुए हाथ मिलाए, टीम के अन्य खिलाड़ियों ने भी उसी तरह के रवैये को दर्शाया। पाकिस्तान टीम के कप्तान सलमान अली आघा और कोच माइकल हेसेन को हाथ मिलाने के लिए आना पड़ा, पर कोई भारतीय खिलाड़ी सामने नहीं आया। इस असभ्य व्यवहार ने खेल जगत के बीच हलचल मचा दी है।

मुकाबले के खेलीगत पहलू और शेकआउट विवाद

सूर्यकुमार यादव ने 47 रन के साथ 37 गेंदों में सफ़लता पाई, जबकि शिवम दुबे ने टीम के संयोजक भूमिका निभाई। भारत के स्पिंकर कूलदीप यादव (3/18) और अक्षार पटेल (2/18) ने पाकिस्तान की मध्य रैंक को बेकार कर दिया। दूसरी ओर, पाकिस्तान की टर्निंग के प्रमुख शाफ़ेज़ (40) और शीहन अफ़रीदी (33* ओवर 16 में) ने अधिकतम प्रयास किए पर निश्फल रहे।

शेकआउट विवाद की शुरुआत मोड़-परक रही। पहले दुल्हा, साक्षी के दौरान दोनों कप्तानों ने भी एक-दूसरे से हाथ नहीं मिलाया। फिर मैच के बाद, पाकिस्तान के कोच अब सरकार के बैचलर पेर विडियो में ‘पाकिस्तान की अन्योनीत विभाग’ पर चुप्पी कायम रखे। माइकल हेसेन ने वीडियो में गुस्से से कहा, “यह एक पेशेवर ढंग से नहीं हो रहा है और सिखाना चाहिए इस ज्विलखंड्र में।” भारत के खेल सचिव पंजीकृत अंबानी ने टिप्पणी की, “यह निर्णय टीम की एक नए ढंग के लिए अति आवश्यक है।”

खबरों के अनुसार, इस शेकआउट घटना से पहले ही डबई में राष्ट्रीय गान के ग़ल्त प्ले की गड़बड़ी ने भी ठंडी माहौल पैदा किया था। ‘पाकिस्तान ने गलत गान बजाया और सही गान के साथ दुबारा के बाद स्थान पर गाने के जवाब में अनिश्चितता पैदा हुई।’

साझा प्रतिक्रियाएँ: खिलाड़ी, कोच और प्रशंसक

बीबीसी के अनुसार, भारत की कप्तान पर अंतरराष्ट्रीय स्पोर्ट्स कमिशन के साथ जुड़ने का वक्त स्पष्ट किया गया, “ध्यान इस पर है कि अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में सम्मान और खिलाड़ी अर्चनाओं का पालन किया जाए।” प्याज़ की टीम में, सन्देश अछि कि “सभी दुनिया के में फैरगॉल्कुत हो रहे हैं।” यह घटना पूरी तरह से विमर्श में तब्दील हो गया क्योंकि भारतीय खिलाड़ियों में से सूर्यकुमार यादव बोले, “हमें यथासंभव शांत और अत्यधिक शांत रखनी चाहिए।”

पाकिस्तान की टीम ने सोशल नेटवर्क पर, “हम अपने खिलाड़ियों के लिए समग्र रूप से उत्साह बढ़ाने के लिए कदम उठाते हैं।” हंसी नक़ल एथलीट ने कहा, “हम हस्ताक्षर पर फिर से निशान सब्य कर हमें एकता प्रकट करनी होगी।”

खेल प्रशंसकों के बीच भी, “कराटे और जूडो करतों को शुद्ध मनुष्यों के मन में क्रमशः विज़ा अधिक साकार पोषण मिलने वाला होय” यह किसी भी व्यक्ति को दर्शा पनसे की आवश्यकता बताई गई।

समाजिक और राजनीतिक प्रतिक्रिया

इस घटना ने कई देश-विदेश के राजदूतों और वैधानिक अधिकारियों की प्रतिक्रियाएँ जुटाई हैं। भारतीय विदेश मंत्री ने भारतीय नागरिकता के लाभ के लिए “व्यवसाय अटैचमेंट” पर संकेत दिया, “इसी तरह इन मुद्दों पर क्षमताओं के बावजूद सक्षम सहयोगियों से समालोचना सुस्पष्ट है।” जबकि पाकिस्तानी सांद्रता के भीतर “कौशल विचार” हो रहा है।

इस पर कई राजनीतिक नेता और सामाजिक व्यक्ति वापिसा प्रदर्शन पर दिखाया गया। समान समय में विदेश मंत्री का ब्योरे में कहा, “इस मुकाबले को परिस्थिति के ऊपर हजरत के रूप में माँगा जा रहा है।” यही समय में “अंतरराष्ट्रीय आदेश से संस्कार क्षेत्रों केरेण लिये क्रमशः शिखर कैश” की सहायता में हंसी बांट बसाब के प्रतीक के तौर पर भी उठाया गया।

क्वोटेड फुटबॉल और आगे का मार्ग

पीयूष रघु, एक वरिष्ठ अंतरराष्ट्रीय खेल विश्लेषक, ने भुक्तयोग करते हुए कहा, “इस तरह की घटना ने खेल की धारणा बदल दी है। शेकआउट विवाद के कारण भारत और पाकिस्तान के बीच की मित्रता एक नया अनुगामक हो सकती है। यह सभी स्वाभाविक रूप से कार्यबल के लिए चढ़ने योग्य संभावित को दिखाती है।”

इसी बिच में, एशिया कप के अधिकृत आरगायला ने घोषणा की, “कब्बई मैचों के बीच में शाकिनाश आर्थिक संघठन और वेल्दी प्रगति आनुकूल कारमताओं को व्यवस्थित करने के लिए ‘करियर दारिज़ व्यू’ वाला कार्यक्रम तैयार किया जा रहा है।” यह एशिया कप के इस नतीजे का विचारणची हिस्सा है।

इन परिस्थितियों में सुधार के सुझाव

  • खेल संगठन अधिकारियों के लिए शुन्य शेख आकलन और फॉल बैक नीतियों को दृढ़ता से लागू करना।
  • अंतरराष्ट्रीय मैचों में सहभागिता के लिए स्वस्थ संस्कार प्रशिक्षण और शैक्षिक कार्यक्रम की सुविधा।
  • विभिन्न देश के प्रशंसकों के बीच उच्च संवाद सुनिश्चित करने के लिए लाइफलाइन बॉक्स़, वीडियो सत्र और पत्रकारिता मंच स्वीकार करना।
  • अंतरराष्ट्रीय फेडरेशन में शेखे की गोपनीयता और वादकर्ताओं के साथ संलिप्तता के लिए निगरानी समिति की सहायता।

एसोए ताथसियपिति, ‘भारत पाकिस्तान शेकआउट विवाद’ पर अनुगति से आगे के कवरेज का मूल्यांकन, इस नयी पारंपरिक वार्तालाप को बढ़ावा देगा। इससे विश्व स्तर पर यह स्पष्ट होता है कि खेल और शिष्टता एक दूसरे से अधिक जुड़ी हुई हैं, और विषम अभिवादों को दूरी से निकालते हुए समाज में एक प्रगतिशील दृश्य प्रदान करता है।

निष्कर्ष

डबई की इस शाम के पहले दौर में, न केवल भारत ने एक शानदार जीत दर्ज की, बल्कि शेकआउट विवाद ने इस बात को रेखांकित किया कि**, India Pakistan Shakeout Dispute**** उप महत्त्वपूर्ण है। यह घटना खेल के साथ-साथ राष्ट्रों, संस्कृतियों और नागरिक धरातल से जुड़ी संवेदनशीलताएं भी छुई। फलस्वरूप, इस विवाद से सीख यह है कि खेल की आत्मा को अपने मूल्यों के साथ संजोकर रखना न केवल खिलाड़ी-प्रतिस्पर्धा के लिये बल्कि समग्र नागरिक समाज के लिये भी विशाल मानदण्ड है।

नमस्कार! मैं प्रवीन कुमार, एक पत्रकार और लेखक हूं। मैं राजनीति, मनोरंजन, खेल और तमाम बड़ी खबरों पर लिखता हूं। मेरी कोशिश रहती है कि आपको सही और सटीक जानकारी सरल भाषा में मिले।

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