67 डॉग बाइट केस का भयानक दिन: कलाईनगर में 4 अस्पताल भर्ती
विकासशील शहर कलाईनगर में शनिवार को 67 डॉग बाइट केस दर्ज हुए, जिनमें से चार को अस्पताल में भर्ती कराया गया। यह घटना एक ही दिन में कई बार हुई कुत्ते की दंश घटनाओं के बीच विशेष रूप से चिंताजनक बन गई है।
इसी दिन डॉग बाइट केस की बाढ़
कलाईनगर के कलपित विहारी घाटी में एक ही दिन में 67 डॉग बाइट केस दर्ज होने की सूचना नागरिक प्राधिकरण ने दी है। ये आँकड़े KDMC (कलाईनगर-डोंबिवली म्युनिसिपल कॉरपोरेशन) के रोग नियंत्रण और रोकथाम केन्द्र से प्राप्त रिपोर्ट पर आधारित हैं। पंजीकृत केसों में 35 के मामले कलाईनगर और 32 दफ़ा डोंबिवली से दर्ज हुए। विवरण बताता है कि किसी विशेष स्थान पर नहीं रुका, बल्कि पूरे क्षेत्र में कुत्तों के भेजने से बाहर हो गया।
इस रिपोर्ट में बताया गया कि सभी प्रभावित लोगों को एंटी-रैबीज टॉक्सिन और इम्युनोग्लोबुलिन का व्याजकी योजना के तहत तुरंत उपचार मिला। इसके अलावा, 700 से अधिक पीड़ितों को अनिवार्य रैबीज टीकाकरण की नोटिस भी जारी की गई है।
विस्तृत आँकड़े
- कुल रस्से के साथ डॉग बाइट केस: 67
- कलाईनगर में केस: 35
- डोंबिवली में केस: 32
- मेडिकल उपचार प्राप्त: 67 (सभी)
- अस्पताल भर्ती किए गए: 4 (2 पुरुष, 1 महिला, 1 बच्चा)
- अनुमानित रैबीज के खतरनाक स्तर के केस: 15
इसी दौरान, कलाईनगर के स्वास्थ्य अधिकारी डॉक्टर दीपा शुक्ला ने एक पत्रकार सम्मेलन में कहा, “आज हमने सबसे अधिक केस नोंद किए हैं, परंतु यह ध्यान देना ज़रूरी है कि कई पीड़ितों को यहाँ आने पर रैबीज के टीकाकरण के लिए 24×7 उपलब्धिक प्रणालियों के कारण सहायता मिली। “
सामाजिक परिप्रेक्ष्य और नागरिक जागरूकता
कुत्तों के इर्द-गिर्द हुई इस घटना से कई नागरिकों की अटकलें बढ़ी हैं। ग्राहक शिकायतों में उल्लेख किया गया कि पिछले कुछ वर्षों से उनके इलाके में कुत्तों की संख्या में वृद्धि हुई है। “हमेशा बच्चे और बुजुर्ग इस बीएचभी में कुत्तों के डर से बाहर नहीं जाना चाहते,” एक पिता ने बताया।
गविंदवाड़ी के निवासी अफजल खान ने खुशी से साझा किया कि “एक ही कुत्ते ने उनके 14 वर्षीय बेटे को काटा और फिर उसी दिन उसी जगह अन्य तीन लोगों को भी काटा।” वह आगे बताते हैं कि उसी कुत्ते ने सुबह के दौरान उन्हें ले कर चलने के दौरान पीछे से पालतियों को काटा। इन सभी पीड़ितों को उसी अस्पताल, रुक्मिनिबाई हस्पिटल में भर्ती कराया गया।
कलाईनगर के एक और पीड़ित, इम्रान सयद, ने कहा, “कुत्ता मुझे लम्बे समय से पीछा कर रहा था। मैं सुबह नास्ते के बाद बाहर गया, तभी यह विद्युत शत्रु पर हमला हुआ।” उनकी लम्बी ज़बान में दोनों पैरों पर कई काटने हुए थे।
नीति-निर्मात्माओं और स्वास्थ्य अधिकारियों ने कुत्तों की संख्या कम करने के लिए ‘प्रत्येक महीने लगभग 1,000 कुत्तों के लिए स्टेरिलाइज़ेशन कार्यक्रम’ चलाने की योजना बनाई है। इस वर्ष के कार्यक्रम से 200 से अधिक कुत्तों की निर्माण व प्रजनन रोकी स्थायित्व हासिल था। साथ ही, आपातकालीन रैबीज टीकाकरण केंद्र को बढ़ाने की योजनाएं जारी हैं।
विश्वविद्यालय के अंतरराष्ट्रीय छात्रों के लिए विशेष सुझाव
कुआ पुराने विश्वविद्यालयों में यह घटना विशेष रूप से अंतरराष्ट्रीय छात्रों के बीच चिंताएं उत्पन्न कर सकती है। निम्नलिखित सलाह उनके लिए उपयोगी हो सकती है:
- कुत्ते के एरिया के पास रहते हुए, दर्पण या मोबाइल कैमरा से नजर रखें कि कोई कुत्ता पास नहीं आ रहा।
- डॉग बाइट के जोखिम को कम करने के लिए रैबीज इम्युनाइज़ेशन का समय-सारिणी पर पालन करें।
- यदि आपके पास कुत्ते से दंश हुआ हो तो तुरंत नजदीकी अस्पताल या स्वास्थ्य केंद्र जाएँ और चिकित्सकीय सहायता प्राप्त करें।
- च्छल-क्षेत्रीय शिक्षा कार्यक्रम में भाग लें जहाँ कुत्तों के व्यवहार के बारे में प्रशिक्षण मिल सकता है।
- किसी भी डॉग बाइट केस की सूचना अपने विश्वविद्यालय के अंतरराष्ट्रीय छात्र कार्यालय या स्थानीय स्वास्थ्य संचार विभाग को दें।
काउंसिल शिक्षा एवं स्वास्थ्य विभाग ने बताया कि “सभी विदेशी छात्रों को अनिवार्य रूप से रैबीज टीकाकरण मुहैया कराना अनिवार्य है।” वे यह भी समझाते हैं कि आपातकालीन स्थिति में 24×7 हेल्पलाइन उपलब्ध है।
प्रतिक्रिया एवं भविष्य की दिशा
फ़ैशन आईडियल्स के अकादमिक एवं विभागीय समिति ने इस घटना पर एक रिपोर्ट तैयार करते हुए सुझाव दिया है कि “कुत्तों के लिए अलग पार्क और खोपड़ी के रूप में बेंच बनाए जाने चाहिए।” साथ ही, ‘कुत्ते के स्वास्थ्य निरीक्षण’ के लिए मासिक निरीक्षण और रिपोर्टिंग की सुविधा अपनाने का निर्णय हुआ है।
साइटी की ओर से कार्रवाही के रूप में जानकारी हुई कि “कुत्तों की संख्या एवं उनकी प्रबंधन पर कड़ा ध्यान देना और नयी रणनीतियाँ आगे बढ़ाना।” इसी तरह, ‘कुकर-धुम्रपान के निशान’ को किसी नयी पॉलाइस अनुसार शुद्धि करने की बात भी उठायी गयी है।
इस घटना से यह सबक भी मिलता है कि यूटी विशिष्ट कार्यक्रमों के साथ-साथ सामुदायिक शिक्षा को भी अनिवार्य रूप से शामिल किया जाना चाहिए। सायंटिफिक फर्स्ट अडजस्टमेंट के लिए प्रसार और जागरूकता बढ़ाने के लिए सोशल मीडिया और मोबाइल एप्लिकेशन्स का उपयोग अनिवार्य हो जाएगा।
इस प्रकार, कलाईनगर में 67 डॉग बाइट केस के बाद सरकार और स्थानीय प्राधिकारियों ने क्षेत्रीय रोग नियंत्रण कार्यक्रम को सुदृढ़ किया है। यह घटनाक्रम एक स्पष्ट संदेश देते हैं कि सार्वजनिक स्वास्थ्य और सुरक्षा के लिए सामूहिक प्रयास आवश्यक हैं। अंतरराष्ट्रीय छात्रों और स्थानीय नागरिकों को इस बदलाव के प्रति सजग रहकर सुरक्षित रहना चाहिए।
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