सीबीआई ने नाशिक में 2 अवैध कॉल सेंटर बंद किए, 2 गिरफ्तार
बैंकिंग और इंश्योरेंस क्षेत्र में अवैध कॉल सेंटर धोखाधड़ी पर एक नई पकड़ खींची जा रही है। मुंबई के प्रमुख कानून प्रवर्तन एजेंसी, केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI), ने नाशिक में दो अवैध कॉल सेंटर को बंद कर दिया और दो प्रमुख अपराधियों को गिरफ्तार किया है। यह कार्रवाई बड़े पैमाने पर विदेशी ग्राहकों, विशेष रूप से यूके के नागरिकों, के धोखाधड़ी के लक्षित होने के बीच हुई है।
CBI की नाशिक ऑपरेशन: त्वरित और दृढ़ कार्रवाई
सुप्रभात शंकर देशमुख, CBI के वरिष्ठ अभियोजक, ने प्रिंसिपल से बात करते हुए कहा, “हमारी टीम ने दिन-रात निगरानी के बाद यह निर्णय लिया कि ये केंद्र पूरी तरह से अवैध हैं और इनके द्वारा किये जाने वाले दोगले स्कीम से लाखों यूके नागरिकों पर बुरा असर पड़ा है।”
सप्ताहांत में, CBI ने नाशिक और कल्पना (थाने) पर तीन अलग-अलग खोजे चलाए। इन खोजों में 8 मोबाइल फोन, 8 कंप्यूटर और सर्वर, फ़र्जी बॉर्डर दस्तावेज, नकली इंश्योरेंस पॉलिसी स्क्रिप्ट्स और 5 लाख रुपये की अनुगया नकदी जप्त की गई। संचालन के दौरान, CBI ने पाया कि इस नेटवर्क के लगभग 60 कर्मचारी थे, जो अवैध कॉल सेंटर धोखाधड़ी में जुटे हुए थे।
- प्रतिपादित नेटवर्क: “स्वागन बिज़नेस सॉल्यूशंस” के नाम से ब्रैण्डेड।
- लक्ष्य समूह: यूके के नागरिक, जिससे प्रति वर्ष लगभग ₹12 करोड़ कमा कर धोखाधड़ी का सफल दुष्कर्म चला।
- किए गए कदम: दो प्रमुख अपराधियों, गनेश और श्याम कमकर, का थाने के अधीन पंजीकरण और CBI की देखरेख में कारावास।
अद्यतन तक, दो अभियुक्तों को तत्काल कोर्ट से जुर्माना व हिरासत का आदेश मिला है, और अगले दिन उन्हें फिर से CBI की दखल में लाया जाईगा।
धोखाधड़ी की कार्यप्रणाली: नकली गारंटि और VoIP चैलिस
इन अवैध कॉल सेंटरों ने VoIP और नकली फोन नंबर के जरिए ग्राहकों को धोखा दिया। केस के अनुसार, अभियुक्तों ने इंटरनेट पर “इंश्योरेंस एजेंट” और “सरकारी अधिकारी” होने का ढोंग किया और दावा किया कि सुनिश्चित पॉलिसी खरीदी जाए जो उनके बैंक खाते में डेबिट कर ले। वास्तव में ये पॉलिसी मौजूद ही नहीं थी।
उनकी कार्यप्रणाली में निम्नलिखित तत्व शामिल थे:
- फ़र्जी दस्तावेज़: नकली पॉलिसी नीति पत्र, एनी ब्रांड की पॉलिसी कॉपीज़।
- स्पूफिंग तकनीक: वास्तविक ग्राहकों के मोबाइल नंबर को स्पूफ करके कॉल की गई, जिससे लगे कि ग्राहक स्वयं को वैध प्राधिकरणों से बातें करते हुए पाते हैं।
- समीकरण मेहराब: पॉलिसी आधारित योजनाओं के लिए लागत-लाभ का फर्जी आँकड़ा दिखाकर धोनर तैयार किया गया।
- ट्रैफ़िक पथ: PayPal और अन्य डिजिटल वॉलेट के जरिए फंड ट्रांस्फर किया गया, जिससे ट्रांज़ैक्शन आसानी से ट्रैसेबल नहीं रहते थे।
इन्हें आगे बढ़ाते हुए, CBI ने बताया कि ‘इस नेटवर्क से प्रबंधित सभी खाते बाद में फ्रीज़ कर दिए गए हैं और उनसे जमा की गई धनराशि अलग-अलग फाइनेंशियल संस्थानों में रोक ली गई है।’
पैस्ट वॉइस-ऑफ वीज़ा: अंतर्राष्ट्रीय छात्रों पर असर
विज़ा कंट्रोल विभाग और अनौराधा कोविंद, एक अंतरराष्ट्रीय छात्र, ने इस सत्र में बताया कि कैसे छात्रों ने बिना किसी निगरानी के सस्ते ‘इंश्योरेंस’ की पेशकश करके धोखा खाया।
“मैं यूके के साथ एक टर्म टाइम कंस्ट्रक्ट में था और मेरे साथी ने मुझे बताया कि ‘एक अच्छा इंश्योरेंस कैबिनेट…’। मुझे लगा कि यह सामान्य है, पर जब मैंने पॉलिसी लेने के लिए अपने खाते से पैसे ट्रांसफर किये, तो पता चला कि यह कोई मान्य सलुस नहीं था।”
इस घटना से यह स्पष्ट होता है कि विशिष्ट समूहों पर केंद्रित धोखाधड़ी से अंतरराष्ट्रीय छात्र विशेष रूप से जोखिम में होते हैं। इसके पीछे दो मुख्य वजहें हैं:
- भाषा और सूचना की कमी: विदेशी छात्र अक्सर अपनी मातृभाषा से अलग हेल्पलाइन से संपर्क करते हैं, जिससे वे धोखेबाजों के एंटिग्रेशन को समझ पाते हैं।
- आर्थिक उपलब्धता: अंतरराष्ट्रीय छात्र अक्सर अपनी सीमित बचत को सुरक्षित रखने के लिए ‘सुरक्षित’ पॉलिसी में निवेश करते हैं।
इसलिए, अंतरराष्ट्रीय छात्रों और युवा पेशेवरों को यह सिखाना आता है कि:
- किसी भी पॉलिसी को खरीदने से पहले आधिकारिक वेबसाइट या सरकारी पोर्टल से जाँच करें।
- बैंक और इंश्योरेंस कंपनियाँ आमतौर पर कॉल्स के माध्यम से एटीएम पिन या पासवर्ड जैसी संवेदनशील जानकारी नहीं माँगती हैं।
- जरूरत पड़ने पर स्थानीय इमिग्रेशन काउंसलर या विश्वविद्यालय के फ़िंडोर्मेशन से संपर्क करें।
निवारक कदम और आगे की दिशा
CBI की इस क्रैकडाउन से यह स्पष्ट है कि नाशिक में निर्णयात्मक कार्रवाई करना संभव है। पालक अथवा इंकॉम की तरफ से यह भी कहा गया है कि विश्वविद्यालयों और सरकार के इमिग्रेशन विभागों को मिलकर धोखाधड़ी विरोधी शिक्षा प्रोग्राम्स आर और डेमोदायत की दौड़ शुरू करनी चाहिए।
विशेषग्य राजीव सिंग, CBI के डिजिटल अपराध अधिकारी, ने सुझाव दिया: “सबसे पहले, स्टैंडर्ड चेकलिस्ट को तैयार करके छात्रों और नौजवान सहायता समूहों को उपलब्ध कराना चाहिए।” अवैध कॉल सेंटर धोखाधड़ी के ऊपर यह वर्चुअल कोर्स डिजिटल माध्यम से साक्ष्य और संदेहपूर्ण संगठित व्यवहारों को पहचानने का प्रशिक्षण देगा।
समाप्ति में यह बताना ज़रूरी है कि वर्तमान में भारत सरकार ने पब्लिक वॉचडॉग एजेंसी (PWA) के दायित्वों के तहत यह कटाक्ष किया है कि वे हर अंतरराष्ट्रीय छात्र के आवास व पॉलिसी की समीक्षा के लिए स्थानीय अधिकारियों के साथ मिलकर काम करेंगे। यदि किसी भी स्कूल या विश्वविद्यालय को पंजीकृत नीति सम्मिलन का दावा करते हुए अनधिकृत कॉल सेंटर का सामना करना हो तो प्रबंधनियों को तुरंत CBI या राज्य पुलिस को सूचित करना चाहिए।
इस प्रकार, नाशिक में CBI की कार्रवाई “अवैध कॉल सेंटर धोखाधड़ी” के खिलाफ एक दृढ़ कदम साबित हुआ है, और यह नीतिस्वरूप से साबित होता है कि उठाए गए कदमों से विदेशी निवेशकर्ता और अंतरराष्ट्रीय छात्र अपने हितों की रक्षा कर सकते हैं।
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