भारत- पाकिस्तान क्रिकेट मैच के बाद हेंडशेक विवाद: क्या हुआ और क्यों?
भारत पाकिस्तान हेंडशेक विवाद—भारत की एशिया कप जीत के बाद पाकिस्तान टीम के साथ शिष्टाचार की कमी ने अंतरराष्ट्रीय मंच पर एक विवाद खड़ा कर दिया। 25 सितंबर 2025 को दुबई अंतरराष्ट्रीय स्टेडियम में 10 ओवर के मैच में भारत ने एक शानदार 7 विकेट जीत हासिल की, लेकिन मैच खत्म होते ही भारतीय टीम के समर्थन दल ने तुरंत बदलने के कमरे का दरवाजा बंद कर दिया, जबकि पाकिस्तान के खिलाड़ी गोल्डन मैदान पर शिटक और विनम्र हाथ मिलाने के लिए खड़े रहे। इस घटना ने खेल जगत और भारत‑पाकिस्तान संबंधों की संवेदनशीलता को फिर से उजागर कर दिया।
घटनाक्रम और तात्कालिक प्रतिक्रियाएँ
सूर्यमुखम यदव की टॉप पंक्ति की नाली दोनों ओर से शॉट मारकर 5 विकेट से जीत पूरी हुई। जैसा कि परंपरा है, मैच के अंतिम ही गेंद के बाद दोनों टीमों के खिलाड़ियों के बीच हाथ मिलाने का रीति है। लेकिन इस बार भारत के कोच अलेस“कोच गी” ने मैच के तुरंत बाद भारतीय समर्थन दल को बुलाया और उनसे बदलने के कमरे का दरवाजा बंद करने को कहा, जिससे पाकिस्तान के खिलाड़ी उस मैदान पर ही खड़े रहे। पाकिस्तान के मुख्य कोच रविंदर भाट ने इस स्थिति को “खेदजनक” बताया और “अच्छे खेल के नियमों का उल्लंघन” कहा। उन्होंने मैच के बाद फ्रंटलाइन रिपोर्टरों को बताया: “हम शारीरिक शिष्टाचार का पालन करने के लिए तैयार थे। भारतीय टीम ने हमें एक ही समय पर बाहर भेज दिया।”
यह घटना भारतीय मीडिया और सोशल प्लेटफार्म पर तुरंत चर्चा का विषय बन गई। पाती हुई बड़ियाँ आवाजें और असंतोष ने भारतीय क्रिकेट बोर्ड (BCCI) पर भारी दबाव डाला। गी ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में अपनी रुख स्पष्ट करते हुए कहा, “हमारी वजह से कोई भी टीम शिष्टाचार के नियमों का उल्लंघन नहीं कर सकती। भारत ने इस जीत को राष्ट्रीय सुरक्षा के कार्यकर्ताओं के लिए समर्पित किया।”
शिष्टाचार और सांस्कृतिक संघर्ष: विश्लेषण
इतिहास बताता है कि भारत और पाकिस्तान के बीच खेल के क्षेत्र में हमेशा तनाव बना रहा है। 1947 की अलगाव के बाद से अनुमानित 14 वर्षों का शांतिपूर्ण सह-अस्तित्व, फिर भी क्रिकेट में आगे आने वाली हर मैच पर राजनीति का असर देखने को मिलता है। जैसे 1975 में बहे रौशन की दौली, 1999 में बिर्जा, 2004 में स्विफ्ट मैच आदि, जब दोनों देशों के बीच किसी राष्ट्रीय घटना के चक्कर में शिष्टाचार पर सवाल उठे। इस बार, भारत ने अपने शस्त्री स्टेटला का समर्थन करते हुए ‘पहरगाम फाइट’ के विरोध के साथ पाकिस्तान टीम को दुर्भाग्यपूर्ण परिस्थिति में छोड़ दिया।
इंटरनेशनल क्रिकेट काउंसिल (ICC) ने इसके बारे में 5 दिन पहले एक बयान जारी किया, जिसमें “उपयुक्त खेल संस्कृति” और “समान शिष्टाचार नियमों” पर बल देते हुए यह कहा कि “कोई भी टीम व्यवहारिकता के साथ खेल के नियमों का पालन नहीं कर सकती।” इसके साथ ही BCCI को अपनी नीति की पुनरावलोकन करने का आदेश दिया गया।
राजनीतिक और सामाजिक प्रभाव
भारत की इस कार्रवाई ने कई राजनीतिक दलों और वरिष्ठ राजनेताओं को उठने के लिए मजबूर किया। प्रधानमंत्री ने बोले कि “हमें पाकिस्तान के साथ एक येजाजदार अनुबंध कायम रखना चाहिए, लेकिन दिखावा और शिष्टाचार दोनों समान रूप से महत्वपूर्ण हैं।” वहीं, पाकिस्तान के सम्वेदक्ता परिषद ने भी एक स्पष्ट इस्तीफ़ा दिया: “किसी भी खेल मार्गदर्शिका के अनुरूप, हमें अगले मैच में अपनी प्रतिक्रिया लेकर आयेंगे।”
सामाजिक तौर पर, यह विवाद भारत के आप्रवासी विश्वविद्यालय छात्र और अंतरराष्ट्रीय छात्र समुदाय के लिए भी एक प्रमुख चिंताजनक विषय बन गया। इंटरनेशनल यूनिवर्सिटी वर्ल्डवाइड (IUW) एक सर्वेक्षण में बताता है कि “70% छात्र इस बात से असहमत हैं कि एक खेलीय मैच के दौरान राजनीति का प्रयोग होना चाहिए।” आज के 21वीं सदी अरब की विश्व विश्वविद्यालय, दिल्ली विश्वविद्यालय, सेंट सायरस कॉलेज के छात्रों ने भी इस घटना पर टिप्पणियाँ जमा की हैं।
आगे की राह और संभावित सुधार
इस विवाद के बाद कई सुधारात्मक कदम सुझाए जा रहे हैं। सबसे पहले, ICC में एक नया ‘सांझी शिष्टाचार कोड’ लागू करने के प्रस्ताव पर विचार चल रहा है। इस कोड के तहत, “मैच के बाद दोनों टीमों को शिष्टाचार के नियमों का कड़ाई से पालन करना होगा, चाहे वह किसी भी राजनीतिक संदर्भ में हो।”
- एक नई नीति लागू: ब्रीफा “दिवंगत बदलने के कमरे के दरवाजे का सफ़र” घोटाले को रोकने के लिए, विशेष लॉजिक प्रस्तुत किया गया है।”
- कोच और समर्थन दलों का प्रशिक्षण: प्रबंधन से कोचिंग स्टाफ को नियमित रूप से शिष्टाचार और खेलमानसिकता के प्रशिक्षण के लिए कहा गया है।”
- खिलाड़ियों के लिए समर्पित वीआईपी ज़ोन: ऐसे स्तर पर पर्यवेक्षण करना कि खिलाड़ियों के बीच शिष्टाचार और तटस्थ बातचीत कविता हो।
पिछले वर्ष 2024 में भारत और पाकिस्तान के बीच एक टिकटिंग विवाद ने भी वैश्विक टेप पर सनसनी पैदा की थी। इस घटना के बाद, इंटरनेशनल क्रिकेट काउंसिल ने मुकदमे का आकलन किया। यह दीर्घकालिक दृष्टि हमें बताती है कि “सभी खेल का विवाद राजनीति की सीढ़ी नहीं हो सकता।” क्योंकि खेल की सबसे बड़ी अस्वीकृति का मूल तिच्छु नहीं हो सकता। इसके परिणामस्वरूप, यह क्रिकेट संगठन यह सुनिश्चित करेगा कि भविष्य में यह घटना दोहराइल न हो।
सारांश में, भारत पाकिस्तान हेंडशेक विवाद ने एक नई सोच को जन्म दिया। चाहे यह विवाद केवल खेल क्षेत्र पर रहा हो या नीति के शासन पर भी आधारित हो, यह स्पष्ट हैं कि दोनों देश अपनी एथलेटिक ureason के लिए एक राजनैतिक सटीकता के लिए अनुमति का रास्ता तलाश रहे हैं। इस घटना के बाद परस्पर सम्मान और सामूहिक संवाद पर तेज़ ध्यान देकर दोनों राष्ट्रों के बीच एक बड़े दर्शन को पुनः आकार देने की आवश्यकता है।
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