क्रिकेट मैच के हाथ मिलाने विवाद ने HR नीतियों को नया मोड़ दिया
9 सितंबर 2025 के मैच के बाद, जब भारत की टीम ने पाकिस्तान को 7 विकेट से हराया, तो मैदान पर दिखाई गई नहीं हुई हाथ मिलाने की घटना ने न सिर्फ खिलाड़ियों के बीच बल्कि भारतीय कॉर्पोरेट जगत के HR नीतियों पर भी नई लहर दौड़ाई। क्रिकेट शिष्टाचार और HR नीतियाँ अब एक-दूसरे से जुड़े हुए प्रतीत होते जा रहे हैं।
हाथ मिलाने का विवाद: शीघ्र घटना और सार्वजनिक प्रतिक्रिया
डुबई अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट स्टेडियम पर 47-वाई बाउंस पर भारत ने पाकिस्तान को 127/9 पर पराजित किया। मैच के समाप्त होने के बाद, जब पाकिस्तानी खिलाड़ियों ने पारंपरिक अभिवादन के लिए लाइन में खड़ा हुआ, भारत की टीम के कोई खिलाड़ी मैदान पर नहीं थे। फुटेज में दिखाया गया कि भारतीय सपोर्ट स्टाफ ने खेलकूद के मैदान का दरवाज़ा बंद कर दिया, जिससे पाकिस्तानी खिलाड़ियों को उलझन में छोड़ दिया गया।
फिर भी, इस विवाद में सिर्फ दरवाज़ा बंद करने के पीछे का कारण ही नहीं था। पूर्व पAK पिचर शौबिल अख्तर ने एशिया कप के बीच की एक पोस्ट-मैच टॉक में कहा, “क्रिकेट मैच है, इसे राजनीतिक मत बनाओ … मैं यह देखकर चौंक गया। हमें अपने खेल में मैत्री दिखानी चाहिए।” उन्होंने पाकिस्तान के कैप्टन सलमान अलीाघा की “पोस्ट-मैच समारोह न जाने” के निर्णय की सराहना भी की।
इससे पहले, भारत की टीम को पाकिस्तान के साथ होने वाले मैच के लिए “बॉयकॉट” के झुंड से भी सामना करना था। प अरब हमलों के बाद इस विषय पर गहरी नफरत यू. एस. के ख़ातरे के समुद्र से बंधी रही। जल्द ही, पAK स्टाफ ने आयोजन स्थल से विद्युत व्यवस्था हटाने के बाद पुएँशन बिल्डिंग समाप्त हुई और पAK खिलाड़ी नॉन-हिंसा की मजबूरी की घोषणा करते हुए “हम खेल में संघर्ष नहीं करते, हम जीतते हैं” का संदेश पड़ा।
क्रिकेट शिष्टाचार का सामाजिक और राजनीतिक दृश्य
रुख लो, पAK और भारत के बीच खिलाड़ियों का शुद्ध रूप से खेल से हटकर हाथ मिलाने का सवाल एक के बाद एक विवाद का जन्मदाता बना। परंतु इस विवाद की उत्पत्ति एक बड़े राजनीतिक टकराव में है – पाहरगाम हमले के बाद का अंतरराष्ट्रीय पटल। सामाजिक प्लेटफॉर्म पर यह सवाल उठता रहा कि क्या हाथ मिलाने को किसी राजनीतिक नारा समझा जाना चाहिए?
वास्तव में, यह घटना क्रिकेट शिष्टाचार की सीमाओं को नई दिशा देने के लिए एक्लिय अन्तर्द्वार साबित हुई। “क्रिकेट शिष्टाचार” शब्द अब केवल गेंदबाजी और बल्लेबाज़ी तक सीमित नहीं रहा; इसके साथ “सांस्कृतिक समृद्धि” और “परस्पर सम्मान” भी का प्रमुख शब्द बन गया है। यह नयी धारा कॉर्पोरेट HR पॉलिसी में भी दिखाई देने लगी है।
HR नीतियों पर नया मोड़: सांस्कृतिक संवाद और डिजिटल शिष्टाचार
कई बड़े बहुराष्ट्रीय कंपनियाँ, विशेषकर जिनके पास भारतीय और पAK्रिस्तानी कर्मचारियों का मिश्रित समूह है, अब अपने HR प्रशिक्षण कार्यक्रम में “हाथ मिलाने” और उसके वैकल्पिक डिजिटल समकक्ष का समावेश कर रही हैं।
- सांस्कृतिक संवेदनशीलता प्रशिक्षण (Cultural Sensitivity Training): कार्यक्रम में अब हर कर्मचारी को सांस्कृतिक तौर-तरीकों—जैसे, हाथ मिलाना, झुकाव, या डिजिटल साइन—के साथ पारस्परिक संवाद के अनुपात पर शिक्षा दी जा रही है।
- ग्राहक और सहकर्मी नेटवर्क (Digital High-Fives): कंपनियाँ “डिजिटल हाई-फाइव” ऐप्स — मोबाइल कैरियर इंटरैक्शन, वीडियो केवल ध्वनि, या मनोवैज्ञानिक रूप से शिष्टThanks — को प्रोत्साहन दे रही हैं, जिससे भौतिक तल पर तनाव कम हो।
- रिस्क मैनेजमेंट और घटना रिपोर्टिंग (Incident Reporting): अब HR नीतियों में भौतिक हाथ मिलाने के बिना होने वाले ‘सभी इशारों’ के लिए रिपोर्टिंग तंत्र का विकास हुआ है। यह पहल भारतीय और पAK्रिस्तानी कर्मचारियों के बीच दिली बातचीत को एक औपचारिक रूप देती है।
इन पहलों की शुरुआत के साथ ही, भारत में कई सूक्ष्म-माइक्रो सेवाएँ और कंसल्टेंसी फर्में भी उन ग्राहकों के लिए “वर्चुअल पॉलीकल्चर” कार्यशालाएं चला रही हैं, जो दो अलग देशों के कर्मचारियों के साथ काम करते हैं। ऐसी सेवाएँ इस बात पर बल देती हैं कि हर कर्मचारी को अपनी मनशा के मुताबिक शिष्टाचार का विकल्प देने से संघर्ष कम होते हैं और कंपनी संस्कृति समृद्ध होती है।
अंतरराष्ट्रीय छात्रों के लिए व्यावहारिक टिप्स
जो कोई विदेशी छात्र भारत या पAK्रिस्तान में अध्ययन कर रहा है या विदेशों में बहुराष्ट्रीय कंपनियों में काम कर रहा है, उनके लिए कुछ रियल टिप्स निम्नलिखित हैं:
- सांस्कृतिक ओरिएंटेशन (Cultural Orientation): विश्वविद्यालयों और कंपनियों को विशेष रूप से इस क्षेत्र में मार्गदर्शिकाएँ उपलब्ध करवानी चाहिए। इसमें भौतिक और डिजिटल शिष्टाचार को अलग-अलग चरणों में सीखाया जाना चाहिए।
- भाषाई फोकस (Language Focus): अंग्रेज़ी के साथ साथ व्यक्तिपरक शिष्टाचार से संबंधित शब्दों जैसे “बधाई”, “धन्यवाद”, और “शुभकामनाएँ” पर भी शिक्षा दें।
- डिजिटल शिष्टाचार मैप (Digital Etiquette Map): अलग-अलग देशों के डिजिटल साक्षरता मानक, जैसे फ़ेसबुक पर हैलो शेयर करना,LinkedIn पर एसोसिएशन, और WhatsApp पर ट्रानज़ैक्टिव संचार पिछड़े पड़ने का कारण बन सकता है।
- सहानुभूति-संबंधी कार्यकला (Empathy Building Activities): संघर्षों से निपटने के लिए सम्यक् सहानुभूति की आवश्यकता है। सत्रों में भूमिका-खेल, चित्रकारी और बैकग्राउन्ड कहानी का विस्तार कर्ता है।
- कौरिस्पॉन्डिंग कम्युनिकेशन (Corresponding Communication): अंतरराष्ट्रीय छात्रों को अपने संचार में शिष्टाचार के साथ-साथ संवेदनशीलता और स्पष्टता को प्राथमिकता देनी चाहिए। यह न केवल शिष्टाचार को स्पष्टता देता है, इससे हिन्दू और मुसलमान के बीच भी संबंध सुधारता है।
इन रैखिक रणनीतियों से न केवल भारत और पAK्रिस्तान के बीच के विवाद को शांत किया जा सकता है, बल्कि सभी अंतरराष्ट्रीय कर्मचारियों को संवाद, विश्वास और विविधता की नई परिभाषा भी दी जा सकती है।
निष्कर्ष: शिष्टाचार से HR नीतियों का नया अध्याय
इस घटना ने साबित किया कि खेल के मैदान पर होने वाली छोटी-छोटी गतिविधियाँ—जैसे हाथ मिलाना—किसी भी संगठन के HR ढांचे को प्रभावित कर सकती हैं। “क्रिकेट शिष्टाचार और HR नीतियाँ” किसी भी कंपनी की पॉलिसी में एक नए अध्याय के रूप में स्थापित हो रही है। अब कॉर्पोरेट्स को यह नयी ज़िम्मेदारी उठानी पड़ी है कि वे अपनी अंतरराष्ट्रीय और बहुसांस्कृतिक टीमों के लिए नयी शिष्टाचार नीतियों को आदर्श रूप से लागू करें।
अंततः, यह कहानी हमें संदेश देती है कि शिष्टाचार केवल खेल में नहीं, बल्कि कार्यस्थल, शिक्षा और अंतरराष्ट्रीय संवाद में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
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